क्या तुम्हारे प्यार की पॉलिसी मैच्योर हो गई

क्यूरियो जयपुर के कलाकारों ने पेश किया नाटक फ्लर्ट ( मालिनी) रवींद्र मंच के टैगोर थिएटर योजना के अंतर्गत फ्लर्ट का सफलतम मंचन

क्या तुम्हारे प्यार की पॉलिसी मैच्योर हो गई

Ananya soch

अनन्य सोच। समय रहते प्यार का इजहार करना जरूरी है, वर्ना जिंदगी भर के लिए दर्द साथ रह जाता है. यह संदेश दिया रवींद्र मंच थिएटर टैगोर योजना के अंतर्गत फ्लर्ट के एक्टर्स और टीम ने. पद्मश्री नरेंद्र कोहली की कहानी मालिनी पर यह नाटक फ्लर्ट का यह 27 वां शो है. नाटक की शुरुआत एक गाने से होती है इसमें एक्टर्स नाटक का सेट लगाते है और उसके बाद मालिनी की एंट्री होती है। जिसमें बबल्स का प्रयोग होता है. फिर वर्मा ( विशाल भट्ट) मालिनी और फ्लर्ट बोलते हुए एंट्री करते है। शुक्ला ( गगन मिश्रा) भी शुक्ला के चरित्र में आते है. उसके साथ में झांकल ( अभिषेक झांकल) और घोष ( महमूद अली) भी आते हैं, वर्मा ( विशाल भट्ट) और शुक्ला ( गगन मिश्रा) के साथ कॉमेडी संवादों से नाटक आगे बढ़ता है. वर्मा एक ऑफिस में सेक्शन ऑफिसर है , वही मालिनी ( प्रियदर्शिनी मिश्रा ) उस ऑफिस में वर्मा की सहयोगी और एक बोल्ड और फ्रेंडली चरित्र की है. वर्मा मालिनी के इस खुले और बोल्ड चरित्र को उसका प्यार समझता है. वर्मा मन ही मन मालिनी को चाहने लगता है लेकिन मालिनी वर्मा को किसी भी स्तर पर अपने तरफ से वर्मा को चाहने की कोई प्रतिक्रिया नहीं देती. वर्मा मालिनी को रेस्टोरेंट में कॉफी पीने, फिल्म देखने, अपने जन्मदिन सेलिब्रेशन में इनवाइट करने ऐसे तमाम हास्य नाटकीय घटनाक्रम से वर्मा के मालिनी को चाहने वाले पॉइंट्स विफल होते है. मालिनी शुक्ला, घोष, झांकल सभी के साथ बहुत घुली मिली रहती है पर वर्मा को कोई लिफ्ट नहीं देती. नाटक में के दो किरदार झांकल और घोष के कहने पर वर्मा अपनी शादी कही और तय करके शादी का कार्ड लेकर जब मालिनी के घर जाता है और उसे अपनी शादी का कार्ड देकर इनवाइट करता है. मालिनी किसी और लड़की से शादी होने पर वर्मा पर बहुत नाराज़ होती है और उसका कार्ड फाड़ देती है. वह कहती है कि तुम्हारी किसी और से शादी हो गई तो मैने जो अपने दिल में प्यार पाला है उसका क्या होगा. वर्मा को और दर्शकों को यह सब आश्चर्य लगता है कि मालिनी ने पूरे नाटक में उसको कही भी ये नहीं जताया कि वो भी वर्मा को चाहती है, फिर ये प्यार पाला है कैसे संभव है. इस बात पर मालिनी गुस्से में और रोते हुए कहती है कि मुझे लज्जा आती रही, शर्म आती रही इसलिए कभी तुमसे प्यार का इजहार नहीं कर सकी. वर्मा इस पर दर्शकों से कहता है कि अब रोने की बारी मेरी है। धीरे धीरे लाइट फेड आऊट होती है और संगीत बंद होता जाता है. 

नाटक में कमल जांगिड़ का संगीत रिकॉर्डेड और ताजगी भरा है। सेट भी सजेस्टिव बड़ा कमाल का है जिसे अभिषेक, हरि, कमल और अक्षय ने लगाया. नरेंद्र कोहली की कहानी मालिनी के इस फ्लर्ट नाटक का रूपांतरण विकास पारीक ने किया है और इस नाटक का डॉक्यूमेंटेशन विशाल भट्ट ने किया है. प्रियदर्शिनी मिश्रा ने इस नाटक में मेकअप और कॉस्ट्यूम डिजाइन किया है, वही डॉक्टर कपिल शर्मा ने प्रकाश व्यवस्था संभाली है. पूरे नाटक की परिकल्पना बहुत ही अद्भुत है, नाटकीय तत्वों, ब्लॉकिंग, सभी का संवाद प्रवाह, हर दृश्य इस नाटक को चरम तक ले जाता है। दर्शक पूरी तरह से जुड़ जाते है. 26 प्रदर्शनों में इस नाटक ने जयपुर के अलावा, दिल्ली, कानपुर, पटना, कुरुक्षेत्र, प्रयागराज, चंडीगढ़, भोपाल, गोवा, पोर्ट उड़ीसा, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जालौर और अभी हाल ही में शिमला के गेयटी थिएटर में इसका सिल्वर जुबली 25 वें शो में बहुत ही धूम मचाई है.  रवींद्र मंच की ओर से टीम फ्लर्ट के कलाकारों का स्वागत किया.