कला की दो धाराओं का संगम: रंगरीत कला महोत्सव में कथक की अनुपम प्रस्तुति

कला की दो धाराओं का संगम: रंगरीत कला महोत्सव में कथक की अनुपम प्रस्तुति

Ananya soch: Rangrit Art Festival

अनन्य सोच। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित किये जा रहे रंगरीत कला महोत्सव में शुक्रवार की शाम कला प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई. 

केंद्र की अलंकार दीर्घा में जहां एक ओर वरिष्ठ और युवा चित्रकार अपनी कल्पनाओं को रंगों के माध्यम से आकार दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर कथक नृत्य की अनुपम प्रस्तुति ने कला के इस उत्सव को नई ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया. 

जयपुर घराने की प्रख्यात नृत्यांगना और नृत्य गुरू डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी के निर्देशन में दीपक सक्सेना और संगीता सिंह ने कृष्ण वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके पश्चात जयपुर घराने की पारंपरिक कथक शैली के विविध पक्षों की प्रस्तुति ने वहां मौजूद चित्रकारों और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. नृत्य की हर मुद्राएँ और लयबद्ध पदचाप मानों चित्रों की रेखाओं में प्राण भर रहे थे. 

इस अवसर पर डॉ. गोस्वामी ने चित्रकला और नृत्य के गहरे अन्तर्संबंधों पर भी सारगर्भित व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि कैसे दोनों कलाएं भाव, अभिव्यक्ति और सौंदर्य के माध्यम से एक-दूसरे की पूरक बनती हैं. उनकी बातें उपस्थित कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं. 

रंगों और रागों के इस अनूठे संगम ने न केवल चित्रकारों की अभिव्यक्ति को नई ऊर्जा दी बल्कि उपस्थित दर्शकों के मन में भी कला की बहुआयामी सुंदरता की अमिट छाप छोड़ी.