डीएनटी समाज को प्रशासनिक, राजनीतिक एवं व्यवसाय आदि में भागीदारी नहीं मिलने सरकारी योजनाओं की जलाई होली

Ananya soch
अनन्य सोच। विमुक्त, घुमंतू ,और अर्ध घुमंतू (डीएनटी) समाज को उनकी आवश्यकता के अनुसार सरकार के द्वारा प्रशासनिक लाभ एवं आरक्षण का लाभ नहीं मिलने से इस समाज के हजारों लोगों के द्वारा संगठित होकर जयपुर के मानसरोवर स्थित वीटी रोड ग्राउंड पर महा-बहिष्कार के साथ सरकार के द्वारा की गई आधी अधूरी घोषणाओं का बहिष्कार एवं आंदोलन कर उनके आदेशों की होली जलाई गई. राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष लालजी राईका एवं विमुक्त, घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने बताया कि सरकार को विमुक्त, घुमंतू ,और अर्ध घुमंतू (डीएनटी) के विकास के लिए और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए दस मांगे रखी गई है. ये सभी मांगे इन समाजों के विकास के लिए गठित रेनके आयोग और इदाते आयोग की सिफारिशों के अनुरूप हैं.
डीएनटी की सरकारी लिस्ट में क़रीब 32 समाज हैं लेकिन वास्तव में कुल 50 से अधिक डीएनटी समाज हैं. जिनकी राजस्थान में कुल जनसंख्या 1 करोड़ 23 लाख है जो कि राजस्थान की जनसंख्या का 15 प्रतिशत हिस्सा है. आजादी से लेकर अभी तक इन समाजों को प्रशासनिक, राजनीतिक एवं व्यवसाय आदि में कोई भागीदारी नहीं दी गई. इन समाजों के पास घर नहीं है, घर हैं तो पट्टे नहीं है. घुमंतू समाजों के लिए अलग से शिक्षा की व्यवस्था नहीं है और ना ही अलग से आरक्षण की व्यवस्था है. सरकार के द्वारा विकसित भारत के नारे बेमानी साबित हो रहें हैं. इन सरकारों की बेरुखी के कारण ये समाज हासियें पर होता जा रहा हैं.
4 महीने से सरकार को समस्याओं को दूर करने के लिए कह रहे हैं, लेकिन सरकार नहीं दे रही ध्यान...
विमुक्त, घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने बताया कि चार महीने पहले डीएनटी समाज के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए और सरकार के एक मंत्री से मिले और उन्हें समस्याओं से अवगत करवाया. लेकिन सरकार का अभी तक कोई जवाब नहीं आया. 7 जनवरी को पाली में पहला बहिष्कार कर आंदोलन किया गया था जिसमें दस हज़ार से अधिक लोगों ने भाग लिया और सरकार को एक माह का समय दिया, लेकिन सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
3 फरवरी को जोधपुर में आंदोलन किया, लेकिन फिर भी सरकार नहीं जागी. अंत में निर्णय लेकर आज़ से जयपुर में “महा-बहिष्कार“ आंदोलन कर सरकार के आधे-अधूरे आदेशों की होली जलाई जा रही है.
इस आंदोलन में राजस्थान के हर भाग से हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं. यदि इस आंदोलन के बाद भी सरकार नहीं सुनती है तो ये आंदोलन को गाँव-गाँव तक ले जाया जाएगा.
नामों की विसंगतियां के कारण समाजों का एक बड़ा भाग डीएनटी में नहीं हुआ शामिल...
राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने बताया कि विभिन्न समाजों के नामों में विसंगतियां हैं जिससे उन समाजों का एक बड़ा भाग डीएनटी में शामिल नहीं किया गया. जैसे रेबारी नाम है लेकिन राईका और देवासी नहीं है जबकि तीनों नाम एक दूसरे के पर्याय हैं. जोगी एवं कालबेलिया को एक कर दिया गया है, जबकि दोनों समाज अलग-अलग हैं, मीरासी समाज को शामिल नहीं किया गया. इससे इनके प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहें हैं और इन समाजों का एक बड़ा भाग वंचित हो गया है. इसलिए हमारा नारा था की या तो सभी नाम शामिल हों, नहीं तो एक भी नहीं. क्यों कि हमारे 70 प्रतिशत लोग गोचर और वन भूमि में रहते हैं लेकिन सरकार केवल आबादी में ही पट्टे दे रही है इसलिए इस सिस्टम का भी बहिष्कार किया जा रहा है.