educate girls CEO Maharishi Vaishnav interview: "राजस्थान ओपन स्टेट स्कूल देश का सबसे अच्छा ओपन स्टेट स्कूल है": महर्षि वैष्णव
शिक्षा के क्षेत्र में विगत वर्षों की तुलना में काफी तेजी से आगे बढ़ा है राजस्थान जागरूकता अभियान के माध्यम से अधिक से अधिक बालिकाएँ ओपन स्टेट स्कूल से जुड़ सकेंगी
Avinash parasar:
Ananya soch: educate girls CEO Maharishi Vaishnav interview
अनन्य सोच।educate girls ngo: educate girls ने विगत वर्षों में child education के क्षेत्र में राजस्थान में काफी बेहतरीन से काम किया है. इसकी शुरुआत राजस्थान के छोटे-से जिले से हुई थी और आज राज्य में यह संस्था अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है. इसे लेकर educate girls के CEO Maharishi Vaishnav से बातचीत हुई.
educate girls CEO Maharishi Vaishnav ने कहा कि educate girls की पहल में दो प्रोग्राम्स प्रमुख है - कक्षा 1 से 8 तक और अब 14 से 29 आयु के लिए ओपन स्कूल प्रणाली (open school system) से शिक्षा का दूसरा मौका देने के लिए प्रोजेक्ट प्रगति.
educate girls ngo राजस्थान में पिछले 16 साल से काम करता आया है. इसमें पाली, सिरोही, जलोरे, बूंदी अजमेर, झालावाड़, बांसवाड़ा और झालावार जिले शामिल हैं. इसमें दो प्रोग्राम्स संचालित किए जाते हैं, एक राइट टू एजुकेशन के तहत 8-14 वर्षों की स्कूल से वंचित बालिकाओं की पहचान कर के उन्हें शिक्षा से जोड़ने को प्रेरित करते है. अभी 2021 में हमने प्रगति प्रोजेक्ट शुरू किया है जहां 14-29 आयु की किशोरियाँ और युवा महिलाओं को ओपन स्कूल प्रणाली के माध्यम से शिक्षा का दूसरा मौका दिया जाता है. हम rajasthan state open school system से इन किशोरियों को 10 वीं कक्षा की परीक्षा देने के लिए सहायता करते है. फिलहाल pragat project rajasthan के 9 जिलों में चल रहा है.
-16 वर्ष पहले हुई थी स्थापना
educate girls ngo की स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी. हमारी संस्थापक सफीना हुसैन बालिकाओं की शिक्षा पर फोकस करना चाहती थीं. तब राजस्थान में कुछ जिले ऐसे थे, जिनमें enrolment gender gap बहुत ज्यादा था. किसी स्कूल में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या यदि डबल डिजिट में कम होती है, तो इसे क्रिटिकल जेंडर गेप कहा जाता है. अभी हम इसे ही ग्रॉस इनरोलमेंट रेशियो कहते हैं, जबकि पहले इसे जेंडर गेप कहा जाता था.
उस समय में, पाली जिले में कई बालिकाएँ स्कूल नहीं जाती थीं. rajasthan education pahal की स्थापना के समय हमने राजस्थान की सरकार से पाली के 50 गाँवों में अपनी पहल की शुरुआत करने की अपील की. दरअसल, हम यह समझना चाहते थे कि बच्चियाँ स्कूल क्यों नहीं जाती हैं और क्या किया जाए कि वे शिक्षा से जुड़ें? हमने घर-घर जाकर इसकी जानकारी प्राप्त की, बालिकाओं के माता-पिता से बात की और स्कॉलर रजिस्टर के साथ उन्हें वेरीफाई किया.
बच्चों के पेरेंट्स को मनाना, उनका स्कूल में एडमिशन करवाना, स्कूल के हेड मास्टर और टीचर्स से उन्हें मिलवाना, जनरल मैथमेटिक्स सिखाना और बड़ी बच्चियों को जीवन कला सीखना आदि हमारी संस्था का हिस्सा बन गया और पाली जिले से शुरू होकर हम अजमेर, बूंदी, भीलवाड़ा, झालावाड़ और उदयपुर में आगे बढ़ते गए.
राज्य में हमारे डिस्ट्रिक्ट ऑफिस के अलावा दो मेन ऑफिस हैं, एक जयपुर में और एक उदयपुर में. वहाँ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर्स, ब्लॉक ऑफिसर्स, फील्ड को-ऑर्डिनटर्स है और कम्युनिटी को-ऑर्डिनटर्स हैं. हमरे ऑफिसर्स लोकल हैं, क्योंकि वे क्षेत्र के माहौल को और समुदाय की सोच को बेहतर से समझते हैं. हम बात करते हैं आबू रोड की, वहाँ हम दस वर्षों से हैं, वहाँ बालिकाएँ अभी-भी बालिका शिक्षा का प्रमाण कम है, इसलिए हम वहाँ जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं.
जयपुर में पॉप्युलेशन भी बहुत ज्यादा है और जयपुर के आस-पास बहुत सारे गाँव भी हैं. आरएसओएस की वेबसाइट का भी अनावरण हुआ है.
हमारा विद्या प्रोग्राम है, जो बालिकाओं का कक्षा 1 से 8 तक एडमिशन करवाता हैं और दूसरा है प्रगति प्रोग्राम, जो कक्षा 10वीं और 12वीं की बालिकाओं को ओपन स्कूल से जोड़ता है. राजस्थान ओपन स्टेट स्कूल देश का सबसे अच्छा ओपन स्टेट स्कूल है, क्योंकि हर वर्ष इससे 50-60 हजार बालिकाएँ जुड़ रही हैं. शिक्षा सेतु के तहत बालिकाओं को रजिस्ट्रेशन फीस भरने की जरुरत भी नहीं होगी. हम इससे लोगों को जागरूक करना चाहते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा बालिकाएँ ओपन स्टेट स्कूल के प्रोग्राम से जुड़ सकें.
भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है
भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब पेरेंट्स भी शिक्षा का महत्त्व समझ रहे हैं. प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से जागरूकता काफी बड़ी है. सोलह वर्षों में हमने पाया है कि 1-5 कक्षा तक हमारी चुनौती काफी कम हो गई है. राजस्थान बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. हमने पाया कि बालिकाएँ आठवीं के बाद ही ड्रॉप आउट हो रही हैं. इसका कारण यह नहीं है कि हाई-स्कूल नहीं हैं, बल्कि बच्चियों को लेकर उनक माता-पिता चिंतित हैं. फिलहाल यह प्रोग्राम राजस्थान के 9 जिलों में चल रहा है.
-सरकार की तरफ से कितना सहयोग
राजस्थान एजुकेशन इनिशिएटिव की शुरुआत वसुंधरा राजे जी की सरकार के समय हुई थी. हम बच्चियों को ढूँढ़ते हैं और उन्हें स्कूल तक लेकर आते हैं और इसके लिए हम सरकार से किसी तरह की फंडिंग नहीं लेते हैं.हम एनजीओ हैं और हमारे साढ़े तीन हज़ार कम्युनिटी वॉलेंटियर्स इस पर काम करते हैं.
हमारी संस्था, जिसकी शुरुआत पाली जिले के 50 गाँव से हुई थी, आज 4 राज्यों के 26000 गाँवों में चल रही है. हमारा लर्निंग करिक्युलम 'ज्ञान का पिटारा' भीलवाड़ा जिले में सफल रहा, इसके बाद इसका विस्तार दूसरे जिलों में भी किया गया.
-अन्य से अलग है हमारा एनजीओ
हम प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग की तरह काम नहीं करते हैं और न ही कॉर्पोरेट के भरोसे काम करते हैं. वर्ष 2007 में पाली से शुरुआत करके 2018 में वहाँ से बाहर हुए। वहीं 2012 में जालौर में शुरुआत करके 2020 में वहाँ से बाहर हुए. जब तक हम इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हो जाते हैं कि बालिकाएँ स्कूल जाने लगी हैं और अब कम्युनिटी जागरूक हो चुकी है, तब तक हम दूर नहीं हुए. यही बात हमें अन्य सभी से अलग स्थान देती है.