28th Lokrang mahotsav: देश की लोक विविधता के संग सजा राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह 

28th Lokrang mahotsav: देश की लोक विविधता के संग सजा राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह 
Ananya soch: National Folk Dance Festival
अनन्य सोच। 28th Lokrang mahotsav:  jkk में सोमवार शाम 28th Lokrang mahotsav शुरू हुआ. लोक संस्कृति, लोक नृत्य और लोक कला के इस उत्सव की शुरुआत शिल्पग्राम में पारंपरिक ध्वज फहराकर की गई. शिल्पग्राम के मुख्य मंच पर कला, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में, और रूडा के चेयरमैन हेमंत कुमार गेरा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में ध्वज फहराकर महोत्सव का उद्घाटन किया. इस मौके पर केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका राठौड़, अन्य पदाधिकारी व बड़ी संख्या में कलाकार व दस्तकार मौजूद रहे. 28th Lokrang mahotsav 17 अक्टूबर तक जारी रहेगा. इसमें प्रात: 11 से रात्रि 10 बजे तक शिल्पग्राम में हस्तशिल्प मेला लगेगा, यहां मुख्य मंच पर शाम 6:30 बजे से लोक कला प्रस्तुति होगी, रात्रि 8:00 से लोक जागरण का आयोजन होगा. मध्यवर्ती में शाम 7 बजे से विभिन्न राज्यों के कलाकार लोक गायन, वादन और नृत्य के साथ लोक संस्कृति की छटा बिखेरेंगे. 
इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने कहा कि लोक संस्कृति हमारी पहचान है, और यही पहचान आज से अगले 11 दिनों तक जवाहर कला केंद्र जीवंत हो रहेगी. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार लगातार लोककला को नई पहचान और मंच प्रदान कर रही है ताकि हर कलाकार को सम्मान, हर परंपरा को स्थान और हर दर्शक को गर्व का अनुभव हो. 
जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका राठौड़ ने कहा कि लोकरंग महोत्सव हमारे देश की लोक संस्कृति, परंपरा और सृजनशीलता का सजीव उत्सव है. 
मध्यवर्ती के मंच पर राष्ट्रीय लोक नृत्य की छटा ने बाँधा समां
मध्यवर्ती के मंच पर सोमवार शाम राष्ट्रीय लोक नृत्य की ऐसी छटा बिखरी कि दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए. देश के विभिन्न राज्यों की समृद्ध लोकनृत्य परंपराओं की झलकियों ने सभागार को तालियों की गूंज से भर दिया. शाम की शुरुआत राजस्थान की शुभ मंगलकामना से जुड़ी पारंपरिक मांगलिक चरी नृत्य की मोहक प्रस्तुति से हुई. इसके बाद जम्मू-कश्मीर की वादियों की रौनक लिए रउफ  नृत्य ने मंच पर आकर्षण बिखेरा. असम के उल्लास से सराबोर बीहू ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उत्तराखंड की पर्वतीय मिठास से भरे थडिया नृत्य और हरियाणा के रोमांचक बीन सपेरा नृत्य ने अपनी अदाओं और लय से तालियाँ बटोरीं. हिमाचल प्रदेश की सिरमौरी नाटी ने पहाड़ी लोकजीवन का मनमोहक चित्र प्रस्तुत किया. 
राजस्थान की प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य शैली में पद्मश्री गुलाबो सपेरा की जीवंत प्रस्तुति ने पूरे वातावरण को उत्साह से भर दिया. समापन में पंजाब के ऊर्जावान भांगड़ा ने ऐसा जोश भरा कि दर्शक भी थिरकने लगे. विभिन्न राज्यों के कलाकारों की इन सजीव प्रस्तुतियों ने लोकरंग के मध्यवर्ती मंच को विविधता, उमंग और लोकसंस्कृति की समृद्ध परंपरा के रंगों से सराबोर कर दिया.