पंचम राग प्रेम के अनकहे स्वर की मार्मिक प्रस्तुति ने दर्शकों को किया भावविभोर

पंचम राग प्रेम के अनकहे स्वर की मार्मिक प्रस्तुति ने दर्शकों को किया भावविभोर

Ananya soch

अनन्य सोच। विवेकानन्द ग्लोबल यूनिवर्सिटी (VGU), जयपुर में थर्ड बेल संस्था के बैनर तले प्रस्तुत नाटक “पंचम राग” ने दर्शकों के हृदय को गहराई से छू लिया. मंचित इस नाटक ने प्रेम की उन परतों को उजागर किया, जिन्हें अक्सर समाज अनदेखा कर देता है. युवा और प्रतिभाशाली निर्देशक अभिषेक झांकल के सशक्त निर्देशन में मंचित यह नाट्य प्रस्तुति दर्शकों के लिए एक संवेदनात्मक और वैचारिक अनुभव बनकर सामने आई. इस नाटक को कला एवं संस्कृति मंत्रालय, राजस्थान सरकार का सहयोग प्राप्त हुआ 

“पंचम राग” नवेंदु घोष द्वारा लिखित मूल कहानी पर आधारित है, जिसका प्रभावशाली नाट्य रूपांतरण तपन भट्ट ने किया है. कथा एक विवाहित महिला के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जहाँ प्रेम के विभिन्न स्वर उभरकर सामने आते हैं. पति की उपेक्षा, एक अजनबी का निष्कलुष और निस्वार्थ प्रेम तथा अंततः आत्मबलिदान की करुण परिणति यह सब मिलकर दर्शकों को भावनाओं के गहन द्वंद्व में ले जाता है. 

नाटक का शीर्षक “पंचम राग” स्वयं में एक प्रतीक है। यह प्रेम की उस अनुभूति को दर्शाता है जो ठीक कृष्ण की बांसुरी के पंचम स्वर की भांति दिखाई नहीं देती, पर भीतर गहराई तक स्पंदित करती है. यह प्रस्तुति दर्शकों को यह सोचने पर विवश करती है कि प्रेम केवल शारीरिक आकर्षण या सामाजिक बंधनों तक सीमित नहीं, बल्कि आत्मा के स्तर पर जुड़ा एक मौन, पर शक्तिशाली संबंध है. 

मंच पर विशाल भट्ट, समर्थ, ऋचा सहित अन्य कलाकारों ने अपने सशक्त और संवेदनशील अभिनय से पात्रों को जीवंत कर दिया. ऋषिकेश शर्मा की प्रकाश योजना, आसिफ़ शेर अली खान की सटीक मंच-सज्जा और योगेंद्र व्यास का भावानुकूल संगीत नाटक की संवेदना को और गहराई प्रदान करता है. 

दर्शकों ने नाटक को भावभीनी तालियों से सराहा और इसे आधुनिक समाज में प्रेम, रिश्तों और संवेदनाओं की नई परिभाषा देने वाली प्रस्तुति बताया. “पंचम राग” निस्संदेह एक ऐसा नाटक है, जो मंच से उतरने के बाद भी लंबे समय तक दर्शकों के मन में गूंजता रहता है.