India Fourth Largest Economy: भारत की आर्थिक उड़ान: जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत
वैश्विक मंदी के दौर में ऐतिहासिक उपलब्धि, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम
Ananya soch: India Fourth Largest Economy
अनन्य सोच। India Overtakes Japan Economy: भारत ने वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद (India GDP 2025) अब 4.18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि जापान का जीडीपी 4.1 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है. यह उपलब्धि ऐसे समय में आई है जब दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी, व्यापार अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही हैं.
केंद्र सरकार ने इस ऐतिहासिक प्रगति को भारत की अर्थव्यवस्था का “गोल्डीलॉक्स फेज” बताया है, जहां तेज विकास दर (Fastest Growing Economy India) के साथ-साथ मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में बनी हुई है. (Indian Economy Growth Rate) वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी तिमाही में भारत ने 8.2 प्रतिशत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर्ज की, जो पिछली तिमाही के 7.8 प्रतिशत से अधिक है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 7.3 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज मानी जा रही है.
नीतिगत सुधारों और घरेलू मांग ने दी रफ्तार
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार इस सफलता के पीछे कई मजबूत कारक हैं। देश में बढ़ती घरेलू मांग, निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि, डिजिटल अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार और सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों ने भारत को यह मुकाम दिलाया है. ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती मिली है, वहीं ‘डिजिटल इंडिया’ पहल ने सेवा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि (Atmanirbhar Bharat Economy) यह 140 करोड़ भारतीयों की मेहनत और सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है. उन्होंने 2030 तक भारत को 7.3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य दोहराया. यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया और इसे आत्मनिर्भर भारत की जीत के रूप में देखा गया.
निर्यात, इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार पर असर
निर्यात क्षेत्र में करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रमुख रहे. इसके साथ ही जीएसटी सुधारों और बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ने आर्थिक गतिविधियों को गति दी है. राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत शुरू किए गए हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स से रोजगार सृजन को भी बड़ा बल मिला है.
चुनौतियां और आगे की राह
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि चुनौतियां अभी बाकी हैं। वैश्विक व्यापार तनाव, ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे भारत की विकास गति को प्रभावित कर सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अनुसार यदि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखते हुए निर्यात और निवेश को बढ़ावा दिया गया, तो भारत आने वाले वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है.
यह उपलब्धि केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, गरीबी उन्मूलन को गति मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग व ई-कॉमर्स के जरिए छोटे उद्यमों को वैश्विक बाजार से जुड़ने का अवसर मिलेगा. भारत की यह आर्थिक छलांग देश के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत आधारशिला मानी जा रही है.