आध्यात्मिक परंपराओं, लोक-संस्कृति और नृत्य-नाट्य का संगम: संस्कृति महोत्सव में विविध रंगों की छटा

आध्यात्मिक परंपराओं, लोक-संस्कृति और नृत्य-नाट्य का संगम: संस्कृति महोत्सव में विविध रंगों की छटा

Ananya soch

अनन्य सोच। संस्कृति महोत्सव के आगामी सत्र में कला, आध्यात्मिकता और परफॉर्मिंग आर्ट्स का अनूठा संगम देखने को मिलेगा. कार्यक्रम की शुरुआत महिलाओं पर केंद्रित उस आध्यात्मिक परंपरा की चर्चा से होगी, जो प्राचीन बौद्ध भिक्षुणियों, भक्ति संतों, सूफी रहस्यवादियों, तांत्रिक साधकों और वेदांतियों की कविताओं से गहराई से जुड़ी है. इस गूढ़ आध्यात्मिकता को संगीनुमा अभिव्यक्ति देने के लिए सुप्रसिद्ध गायिका सुधा रघुरमन और नृत्यांगना दक्षिणा वैद्यनाथन संगीत और नृत्य के माध्यम से इन भावों को मंच पर साकार करेंगी. 

फेस्टिवल में कला-केन्द्रित प्रशिक्षण की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दोपहर 3 बजे से बच्चों (आयु 7–12 वर्ष) के लिए विशेष वर्कशॉप ‘वैन वॉल्स डांस’ आयोजित की जाएगी. नृत्यांगना एवं अभिनेत्री प्राची साथी इस वर्कशॉप में बच्चों को भरतनाट्यम की मूल शैली, वरली पेंटिंग की अभिव्यक्ति और स्टोरीटेलिंग की तकनीकों से परिचित कराएंगी. यह सत्र कला, नृत्य और तकनीक के माध्यम से अभिव्यक्ति सीखने का एक रोचक अवसर प्रदान करेगा. 

इसके बाद शाम 4:30 बजे राजस्थान की लोक-संस्कृति पर केंद्रित एक गहन संवाद होगा, जिसमें लोक परंपराओं के जानकार विनोद जोशी और प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर "राजस्थान की लोक-संगीत परंपरा" विषय पर विचार साझा करेंगे. इस चर्चा में प्रदेश की परफॉर्मिंग आर्ट्स के सांस्कृतिक खजाने और उससे जुड़ी कहानियों को विस्तार से समझाया जाएगा. 

शाम 6 बजे जयपुर कथक केंद्र के विद्यार्थियों द्वारा ‘नृत्य तरंग’ प्रस्तुति में शास्त्रीय कथक की लयात्मक छटा देखने को मिलेगी. इसके उपरांत 6:30 बजे ‘मंथन’ में राजस्थान की कावड़ कथा और मोहिनीयट्टम का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे दिव्या वारियर और निर्देशक अक्षय गांधी जीवंत करेंगे. फेस्टिवल का भव्य समापन शाम 7:30 बजे प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना माधवी मुद्गल और उनके समूह की आकर्षक प्रस्तुति “विस्तार” के साथ होगा.