कथा-गायन शैली और लोकधुनों संग जीवंत हुआ "आसमान जोगी"

Ananya soch
अनन्य सोच। रंग मस्ताने संस्था ने बुधवार शाम रविन्द्र मंच पर लोकधुनों और कथा-गायन शैली के साथ एक अनूठी नाट्य प्रस्तुति “आसमान जोगी” का मंचन किया. यह नाटक प्रसिद्ध साहित्यकार विजयदान देथा की लघुकथाओं पर आधारित था, जिसमें स्वतंत्रता और बंधन के संघर्ष को कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया.
संगीत, अभिनय और नृत्य का संगम
इस नाट्य प्रस्तुति में सूत्रधार और कलाकारों के माध्यम से कहानी को जीवंत किया गया। लोकसंगीत कम्पोजीशन मीत चौधरी द्वारा रचा गया, जिन्होंने संगीत और डिजाइन का भी निर्देशन किया. तकनीकी निर्देशन की जिम्मेदारी सावन कुमार जांगिर ने संभाली, जबकि अभिषेक मुद्गल ने मार्गदर्शन दिया.
कहानी में अहंकार और प्रतिरोध का टकराव
नाटक में *आसमान जोगी* एक अलौकिक शक्ति संपन्न पात्र है, जो सुंदर स्त्रियों का अपहरण कर उन्हें बादलों के महल में कैद करता है. दिखने में विलासितापूर्ण यह जीवन वस्तुतः बंधन की कठोर हकीकत को छिपा नहीं पाता. यहाँ जोगी अहंकार और इच्छा का प्रतीक है, जबकि स्त्रियों का मौन प्रतिरोध उसकी शक्ति को चुनौती देता है. यही संघर्ष दर्शकों के सामने सत्य और अहंकार की गहराई को उजागर करता है.
कलाकारों की दमदार प्रस्तुति
इस नाटक में ऋषभ पाल, भूपेन्द्र जैन, मोहित सिंघल, रोशिक परिहार, योगेश माथुर, अनुश्री, गरिमा सिंह, पलवी अग्रवाल, किरण निर्वाण, याशिका विजय सहित कई कलाकारों ने दमदार अभिनय किया. कोरस कलाकारों की प्रस्तुतियों ने भी मंच को जीवंत बना दिया.
“आसमान जोगी” ने दर्शकों को न सिर्फ मनोरंजन दिया बल्कि जीवन के गहरे प्रश्नों पर सोचने के लिए भी प्रेरित किया.