Thumri Emperor Pandit Channulal Mishra: ठुमरी सम्राट पंडित छन्नुलाल मिश्र का 89 वर्ष की आयु में निधन : जयपुर की सांस्कृतिक स्मृतियों में अमर स्वर

Thumri Emperor Pandit Channulal Mishra: ठुमरी सम्राट पंडित छन्नुलाल मिश्र का 89 वर्ष की आयु में निधन : जयपुर की सांस्कृतिक स्मृतियों में अमर स्वर

Ananya soch: Thumri Emperor Pandit Channulal Mishra

अनन्य सोच। Thumri maestro Pandit Channulal Mishra passes away at 89: भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानायक, पद्मविभूषण पंडित छन्नुलाल मिश्र (Padma Vibhushan Pandit Channulal Mishra, the doyen of Indian classical music) का 2 अक्टुबर को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया. बनारस घराने के इस दिग्गज गायक ने खयाल, ठुमरी, भजन और कजरी को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया और अपनी रचनाओं से श्रोताओं के हृदय में गहरी छाप छोड़ी. 

पंडित जी का जयपुर से विशेष जुड़ाव रहा. उनकी प्रस्तुतियों ने गुलाबी नगरी की शामों को संगीत और भक्ति की मधुर लहरों से सराबोर कर दिया. वे गोविंददेव जी के परम भक्त थे और इसी कारण कई बार जयपुर आए. म्यूजिक इन दा पार्क व श्रुति मंडल के कार्यक्रमों में उनकी प्रस्तुतियों ने संगीतप्रेमियों को अविस्मरणीय अनुभव दिए. 

12 अक्टूबर 2017 को जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में उनका लाइव प्रदर्शन हुआ, जहाँ उन्होंने खयाल और पुरब अंग की ठुमरी प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. वहीं 19 सितंबर 2010 को एक निजी आयोजन में उनकी आत्मीय प्रस्तुति ने सीमित श्रोताओं को गहरे तक प्रभावित किया. संगीत प्रेमी आज भी "सांस अल्बेली" जैसी उनकी रचनाओं को स्मरण करते हैं. 

संभावना है कि उन्होंने राजस्थान के कई अन्य सांस्कृतिक आयोजनों और उत्सवों में भी अनौपचारिक प्रस्तुतियां दी होंगी. उनके सुर राजस्थान की धरोहरों, हवेलियों और किलों की गूंज में आज भी जीवंत प्रतीत होते हैं. 

3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ में जन्मे पंडित मिश्र ने ठुमरी को शास्त्रीय प्रतिष्ठा दिलाई। 2012 में फिल्म आरक्षण में गीत गाकर उन्होंने बॉलीवुड में भी अपनी अलग पहचान बनाई. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित अनेक गणमान्य लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया. 

जयपुर के संगीतप्रेमियों का कहना है—“उनकी ठुमरी सुनकर लगता था जैसे गंगा का जल राजस्थान की रेत को भिगो रहा हो.” उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर होगा. 

पंडित मिश्र के निधन से शास्त्रीय संगीत का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हुआ, पर उनके स्वर जयपुर की सांस्कृतिक स्मृतियों में सदैव अमर रहेंगे.