Rajasthan Sindhi Academy: तीन दिवसीय कहानी व कविता लेखन-प्रशिक्षण कार्यशाला में रखे विचार
धर्म-समाज डेस्क। अकादमी ने अकादमी संकुल में गुरूवार को मासिक अदबी गोष्ठी का आयोजन किया गया.
 
                                Ananya soch: Rajasthan Sindhi Academy
अनन्य सोच। Rajasthan Sindhi Academy: राजस्थान सिन्धी अकादमी की ओर से तीन दिवसीय सिन्धी कहानी व कविता लेखन-प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित अकादमी संकुल में हुआ. अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि कार्यशाला में भारतीय सूचना सेवा के पूर्व निदेशक व कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार किशन रतनानी ने बाल कहानी मिनी कहानी व नई कहानी के बारे में जानकारी दी. उन्होंने सिन्धी बाल कहानी, लद्यु कथा पर अपने अनुभव बांटते हुए कार्यशाला के प्रतिभागियों को बताया कि साहित्य की हर विधा-कहानी, कविता, गजल आदि तभी आकृति लेकर सामने आती हैं जब सोच रूपी बीज बोया जाता है
प्रकृति की तरह रचना धर्म में भी अच्छा बीज, सही धरती, सही और सतत सार-संभाल मिलकर कहानी को जन्म देते हैं. उन्होंने कहा, कि सिन्धी बाल साहित्य की शुरूआत 171 वर्ष पूर्व 1853 में मानी जाती है. वर्ष 1952 में ’चन्दामामा’ (बच्चों की सुप्रसिद्ध पत्रिका) सिन्धी भाषा में प्रकाशित होती थी। उन्होंने अपने पहले बाल कहानी संग्रह ’बीज’ की कहानियों के जन्म की सोच और अहसासों के अंश को पढ़कर समझाया. 
कार्यशाला में जयपुर की साहित्यकार डॉ. माला कैलाश ने ’सिन्धी कहानी में नए अनुभव’ पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विभाजन के बाद कहानी तीन दौर-तरक्की पसन्द दौर, रोमानवी दौर व नई कहानी का दौर से यात्रा करके आज की स्थिति में पहुंची है. हर दौर दूसरे दौर से सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से निराला व भिन्न होता है। अतः एक दौर की तुलना दूसरे से करना गलत होगा. उन्होंने हर दौर की कहानियों में हुए नए प्रयोग (तर्जुबे) का कहानीकारों की कहानियों के उदाहरणों का नाम सहित उल्लेख किया। कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों के लिए ’खुला सत्र’ के रूप में रखा गया जिसमें तीन दिनों तक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों की कहानी व कविता लेखन की परख की गई. 

 
                         ananya
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