एआई आकर्षक हो सकता है, लेकिन कला का स्थायित्व हाथों की सृजनशीलता में है — विनय शर्मा
Ananya soch
अनन्य सोच। प्रदेश के प्रतिष्ठित कलाकारों की जीवन-यात्रा और कला-दृष्टि को सामने लाने वाली चर्चित संवाद श्रृंखला “बतियन की गली” के चौथे सीज़न की तीसरी कड़ी रविवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई. इस अवसर पर प्रसिद्ध चित्रकार एवं आर्ट कलेक्टर विनय शर्मा ने थिएटर इन एजुकेशन एक्सपर्ट एवं युवा बिस्मिल्लाह ख़ान अवार्डी प्रियदर्शिनी मिश्रा से संवाद में अपनी रचनात्मक यात्रा, कला-दर्शन और समकालीन कला पर गहन विचार साझा किए. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लाइव डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से अपनी कला प्रक्रिया से भी दर्शकों को रूबरू कराया.
डिजिटल युग और एआई आधारित कला पर चर्चा करते हुए विनय शर्मा ने कहा कि एआई कला को आकर्षक बना सकता है, लेकिन उसमें स्थायित्व नहीं होता. हाथों से रची गई कला में जो आत्मिक संतोष और गहराई होती है, वह मशीन निर्मित कला में संभव नहीं। उन्होंने कहा कि एआई वास्तविक कला को विकृत कर सकता है, पर उस पर कभी हावी नहीं हो सकता.
अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभव साझा करते हुए उन्होंने पोलैंड की सन रिवर में अपनी कृतियों के विसर्जन का उल्लेख किया और त्याग को सृजन का अनिवार्य हिस्सा बताया. कलाकार के आंतरिक द्वंद पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सृजन की असली लड़ाई स्वयं से होती है, और यही संघर्ष नई रचना को जन्म देता है.
कला की सामाजिक भूमिका पर उन्होंने कहा कि कला सुकून, संवेदनशीलता और सामाजिक समरसता का माध्यम है. कार्यक्रम के अंत में “कर्मठ युवा सम्मान” रंगमंच अभिनेता, लेखक व निर्देशक अर्जुन देव को प्रदान किया गया. इस अवसर पर डॉ. कपिल शर्मा, गगन मिश्रा और पर्यावरणविद नीता उपाध्याय ने विनय शर्मा का सम्मान किया.